Career in Space Science / स्पेस साइंस में करियर

What: Do you dream to be an astronaut? Are you interested in solving the unknown mysteries of the universe? Love to take on the challenges of an unconventional career? Well, if you have answered in the affirmative to all the above questions, you might as well look for a career in space science and technology.

Broadly speaking, space science and technology deals with the study of universe outside the earth’s atmosphere. There are numerous branches of space science – astronomy, astrophysics, cosmology, stellar science, planetary science etc. Originally, all these disciplines were considered as part of astronomy, but with recent developments and discoveries, they have become vast enough to be considered as separate fields on their own. Experts in fields such as robotics, satellite technology, medicine, biology, remote sensing, meterology etc. may also seek careers in space science after developing the skill sets necessary for the job.

The salary in space technology largely depends upon the academic qualification, institute from which the degree is obtained, and the nature of work. Budding space scientists can earn anywhere between Rs. 200,000 and Rs. 250,000 annually. Once an individual gains the right experience and acquires the requisite knowledge, there is no upper limit of remuneration for the right candidate.

How: Space science provides employment opportunities in a diverse number of fields. It is not just limited to mapping a distant planet or discovering something new and unique about the solar system. As a space scientist, one can be employed as faculty in universities or sit on academic committees, publish papers, guide research students, write proposals, and referee papers for publication. Government/national observatories, space research agencies, science museums, and planetariums can absorb astronomers and astrophysicists. Further, they can even find work in designing and manufacturing telescopes, writing software, and performing several tasks at ground-based observatories and space laboratories. Space scientists can try their hands at technical writing as well. Some other employment areas include simulation centers, space tourism operators, and spacecraft manufacturing firms, military operations, R&D centers, spacecraft software developing firms, and repair and maintenance workshops.

The eligibility criteria for joining programs in space science and technology vary according to the specific requirements of each job. Admissions to the undergraduate courses at the Indian Institute of Space Science and Technology (IIST) is made on the basis of a candidate’s rank in the Joint entrance Examination conducted by IITs. In other places, candidates with B.Sc., M.Sc., B.E., M.E. or Ph.D. are usually selected. Study of science subjects such as Mathematics, Physics, and Chemistry at undergraduate level is usually a mandatory requirement.

Where: Pursuing a course in space science and technology can open up numerous career opportunities for students. Engineers with space science or technology qualification can find employment in organisations Indian Space Research Organization (ISRO), DRDO (Defence Research and Development Organisation), HAL (Hindustan Aeronautics Limited) etc.

However, before you join a career in space science, it is necessary for you to know the various requirements of the field – which skills to develop, which courses to take, where to study, and whose advice to seek. Therefore, if you are in love with space science and ready to work hard, its time you get yourself ready for an exciting career ahead.

Institutions:

क्याः क्या आपने कभी एस्ट्रोनॉट बनने का सपना देखा है? क्या आप ब्रह्मांड के रहस्यों को सुलझाने में रुचि रखते हैं? क्या आपको एक अपरंपरागत कैरियर की चुनौतियों का सामना करना पसंद है? यदि इन सब प्रश्नों के लिए आपका उत्तर सकारात्मक है तो आपको स्पेस टेक्नोलॉजी में करियर बनाने के विकल्प को चुन सकते हैं।

मोटे तौर पर कहा जाए तो स्पेस साइंस और टेक्नोलॉजी के अंतर्गत पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर के यूनिवर्स की स्टडी की जाती है। स्पेस साइंस में एस्ट्रोनॉमी, एस्ट्रोफिजिक्स, कोस्मोलॉजी, स्टेलर साइंस व प्लेनेटरी साइंस जैसी कई शाखाएं होती हैं। मूल रुप से इन सभी विषयों को एस्ट्रोनॉमी का हिस्सा माना जाता है लेकिन हाल के घटनाक्रम व खोजों के आधार पर वे इतने वृहद हो गए हैं कि उन्हे अपने आप में अलग विषय माना जाता है। रोबोटिक्स, सेटेलाइट टेक्नोलॉजी, मेडिसीन, बायोलॉजी, रिमोट सेंसिंग व मेटरोलॉजी जैसे क्षेत्रों के विशेषज्ञ काम के लिए पर्याप्त कौशल को विकसित करने के बाद स्पेस साइंस में भी करियर बना सकते हैं।

स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में वेतन वेतन काफी हद से शैक्षणिक योग्यता, डिग्री हासिल करने वाले इंस्टिट्यूट व काम की प्रकृति पर निर्भर करता है। नए स्पेस साइंटिस्ट शुरुआती तौर पर 2,00,000 से 2,50,000 रुपये तक के सालाना पैकेज को प्राप्त कर सकते हैं। एक बार पर्याप्त जानकारी व अनुभव हो जाने के बाद उपयुक्त लोगों के लिए पारिश्रमिक की कोई ऊपरी सीमा नहीं होती है।

कैसेः स्पेस साइंस द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान किए जाते हैं।। यह क्षेत्र केवल दूरदराज के ग्रहों की मैपिंग व सोलर सिस्टम में नए खोज तक ही सीमित नहीं है। बतौर स्पेस सांइटिस्ट किसी का चयन यूनिवर्सिटी की फैक्लटी तौर पर हो सकता है इसके अलावा एकेडमिक कमेटी में बैठने, पेपर्स को पब्लिश करने, रिसर्च स्टूडेंट्स को गाइड करने व प्रपोजल को लिखने जैसे काम भी उन्हे करने पड़ सकते हैं। सरकारी/राष्ट्रीय वेधशालाओं, स्पेस रिसर्च एजेंसियों और विज्ञान संग्रहालयों में भी एस्ट्रोनॉमर्स व एस्ट्रोफिजसिस्ट्स की नियुक्ति की जाती है। इसके अलावा वे टेलीस्कोप की डिजाइनिंग, सॉफ्टवेयर के निर्माण और ग्राउंड बेस्ड स्पेस लैबोरेट्रीज में होने वाले कई कार्यों को भी कर सकते हैं। स्पेस साइंटिस्ट टेक्निकल राइटिंग के क्षेत्र में भी अपने हाथ को आजमा सकते हैं। रोजगार के कुछ अन्य क्षेत्रों में सिमुलेशन सेंटर्स, स्पेस टूरिज्म ऑपरेटर्स, स्पेसक्राफ्ट मैनुफैक्चरिंग फर्म्स, मिलट्री ऑपरेशंस, आर एंड डी सेंटर्स, स्पेसक्राफ्ट सॉफ्टवेयर डेवलपिंग फर्म्स व वर्कशॉप्स के रिपयेर व मेंटनेंस शामिल हैं।

स्पेस साइंस व टेक्नोलॉजी के प्रोग्राम्स में दाखिले के लिए पात्रता मानदंड काम की विशिष्ट आवश्यकताओं के मुताबिक अलग अलग हो सकते हैं। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईआईएसटी) के अंडरग्रेजुएट कोर्सेज में दाखिला आईआईटी द्वारा आयोजित संयुक्त प्रवेश परीक्षा में अभ्यर्थी के रैंक के आधार पर दिया जाता है। अन्य जगहों में आमतौर पर बीएससी, एमएससी, बी.ई., एम.ई या पीएच.डी के आधार पर चयन किया जाता है। स्नातक स्तर पर मैथमैटिक्स, फिजिक्स व केमिस्ट्री जैसे विज्ञान के विषयों का अध्ययन अनिवार्य है।

कहांः स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी में कोर्स पूरा करने के बाद छात्रों के पास कई करियर विकल्प मौजूद होते हैं। स्पेस साइंस या टेक्नोलॉजी की योग्यता के साथ कोई इंजीनियर इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो), डीआरडीओ (डीफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट), एचएएल (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) जैसे संस्थानों में काम कर सकते हैं।

हालांकी स्पेस साइंस में करियर की शुरुआत से पहले आपको- कौन से कौशल विकसित करने हैं, कौन सा कोर्स करना है, कहां पढ़ाई करनी है और किसकी सलाह लेनी है जैसी इस क्षेत्र की विभिन्न आवश्यकताओं को समझना होगा। इसलिए अगर आप स्पेस साइंस को पसंद करते है और कड़ी मेहनत के लिए तैयार हैं तो आगे एक शानदार व रोमांचक कैरियर के लिए तैयार हो जाइए।

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