Career in Genetic Engineering / जेनेटिक इंजीनियरिंग में करियर

What: Genetic engineering, in simple words, is a laboratory technique used by scientists to change the DNA of living organisms. This wonderful branch of engineering or science enables the human minds to interfere in and modify the processes of life, birth & death and even offers escape from certain congenital diseases. There is great scope in this field as the demand for genetic engineers is growing both in India and abroad.

The study of genetic engineering involves insertion of new genetic material at an unspecified location in the host genome by isolating and copying the genetic material of interest using molecular cloning methods to generate a DNA sequence containing the required genetic elements for expression, and then inserting this construct into the host organism.

The pay package offered for genetic engineers is comparatively higher than other engineering graduates. They are offered a monthly salary of Rs.50, 000 to 80,000 in public sector and even higher in private sector.

Other methods consist of gene targeting and knocking out exact genes via engineered nucleases such as zinc finger nucleases or engineered homing endonucleases. The field of genetic engineering studies how traits and characteristics of an organism are transmitted through the generations, and how genetic disorders are caused.

How: The work involves extracting the DNA out of one organism, changing it using chemicals or radiation and subsequently putting it back into the same or a different organism. For e.g.: genes and segments of DNA from one species is taken and put into another species. They also study how traits and characteristics are transmitted through the generations, and how genetic disorders are caused. Their research involves researching the causes and discovering potential cures if any.

The specializations in genetic engineering are related to plants, animals and human beings. The plant genetic engineering involves improving certain natural characteristics of value, viz. increase resistance to disease or damage and to develop new characteristics etc. It is used to change the colour, size, texture etc. of plants otherwise known as GM (Genetically Modified) foods. GE in humans can be to correct severe hereditary defects by introducing normal genes into cells in place of missing or defective ones.

The basic eligibility criteria for a graduate degree (BE / B.Tech) is 10+2 or equivalent examination, with Biology, Chemistry and Mathematics as well as genetics as part of the biology or a bachelor’s degree in science or molecular biology.

Where: Genetic engineers are mainly absorbed in medical and pharmaceutical industries, the agricultural sector, and the research and development departments of the government and private sectors. They can also take up teaching as an option.

Institutions

क्याः सरल शब्दों में कहा जाए तो जेनेटिक इंजीनियरिंग वह लैबोरेट्री तकनीक है जिसका इस्तेमाल वैज्ञानिको द्वारा जीवों के डीएनए को बदलने के लिए किया जाता है। इंजीनियरिंग या विज्ञान की इस अद्भुत शाखा ने मानव मन को जीवन, जन्म और मृत्यु की प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप करने व उन्हे संशोधित करने के साथ कुछ जन्मजात बीमारियों से बचने की क्षमता प्रदान की है। भारत और विदेशों में जेनेटिक इंजीनियर्स की मांग में हो रही निरंतर वृद्धि को देखते हे इस क्षेत्र में आगे बढ़ने की असीम संभावनाएं मौजूद हैं।

जेनेटिक इंजीनियर्स को आमतौर पर अन्य इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स की तुलना में ज्यादा पे पैकेज की पेशकश की जाती है। पब्लिक सेक्टर्स में उन्हे प्रतिमाह पचास से अस्सी हजार रुपये तक के वेतन की पेशकश की जाती है जबकि प्राइवेट सेक्टर में यह राशि और ज्यादा होती है।

अन्य तरीकों में जीन टार्गेटिंग और जिंक फिंगर न्युक्लिअसिज या इंजीनियर्ड होमिंग इंडोन्युक्लिअसिज के माध्यम से एक्जेक्ट जीन की नॉकिंग आऊट शामिल है। जेनेटिक इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अध्ययन करने से जीव के लक्षण और विशेषताओं को उसकी पीढ़ियों में प्रेषित होने व आनुवंशिक विकारों की वजहों का पता चलता है।

कैसेः इनके कार्यो में एक जीव के शरीर से डीएनए निकालकर उसे केमिकल या रेडिएशन की मदद से बदलकर किसी और या उसी जीव में लगाना भी शामिल है। जैसे रू किसी एक प्रजाति के डीएनए से लिए गए जीन और सेगमेंट्स को अन्य प्रजातियों में डाल दिया जाता है। वे जीव के लक्षण व विशेषताओं को उसकी पीढ़ियों में प्रेषित होने व आनुवंशिक विकारों की वजहों का भी अध्ययन करते हैं। उनके रिसर्च में कारणों के अध्ययन से लेकर उनके संभावित इलाज के लिए किए जाने वाला अनुसंधान भी शामिल है।

जेनेटिक इंजीनियरिंग में स्पेशलाइजेशन पौधों, जानवरों और मनुष्यो से संबंधित होता हैं। प्लांट जेनेटिक इंजीनियरिंग में कुछ प्राकृतिक विशेषताओं के सुधार शामिल है जैसे बीमारी के लिए प्रतिरोध को बढ़ाना व नई विशेषताओं को विकसित करना इत्यादि। इसका इस्तेमाल पौधों के रंग, आकार,बनावट आदि को बदलने के लिए किया जाता है और इसे जीएम फूड्स (जेनेटिकली मोडिफाइड) के तौर पर जाना जाता है। जीई द्वारा मनुष्यों में लापता या दोषपूर्ण जीन की जगह सामान्य जीन को स्थापित करके कई गंभीर वंशानुगत दोषों को दूर किया जा सकता है।

ग्रेजुएट डिग्री (बीई/बी.टेक) के लिए न्यूनतम पात्रता मानदंड बॉयलॉजी, केमिस्ट्री, मैथमेटिक्स के साथ 10+2 या जेनेटिक्स, बायोलॉजी व मॉल्युकुलर बॉयोलॉजी के साथ साइंस में बैचलर्स की डिग्री है।

कहांः जेनेटिक इंजीनियर्स की आवश्यकता मुख्य रूप से मेडिकल व फॉर्मास्युटिकल्स इंडस्ट्री, एग्रीकल्चर सेक्टर और सरकारी व निजी रिसर्च एंड डेवलपमेंट डिपार्टमेंट्स में होती है। वे अध्यापन को भी विकल्प के तौर पर चुन सकते हैं।

संस्थानः

INSTITUTES:

  • Aryabhatta Knowledge University, Patna
  • Bharath University, Chennai, India
  • Indian Institute of Science, (IISc), Bangalore
  • Kuvempu University, Shivamogga
  • R.M Institute of Science and Technology, Chennai.

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