Career in Psychology
Career in Psychology / साइकोलॉजी में करियर
What: Psychology is the study of mind. More precisely, it is scientific and systematic study of human and animal mind, behaviour and thought. The main area of psychological study is motives, reactions, feelings and nature of human and animal mind. They study the changes in the behavioural pattern of the patient and counsel them to bring changes in their thought process and thereby improving their quality of life. Because of excessive material pursuits in life people are often suffer from mental frustration and depression due to lack of proper and adequate emotional support. Thus, there is growing demands for psychological counsellors.
Psychologists need not have a medical degree. Nevertheless, they have to study several years to specialise in various aspects of psychology.
Salaries vary considerably based on specialty area and employment sector. Psychologists in general earn anywhere between Rs 12,000-55,000 per month. Clinical psychologists earn between Rs 12,000-35,000 per month. School psychologists take home around Rs 10,000-15,000 a month.
How: The multi-faceted nature of the subject opens up wide range of job opportunities for psychologists. They can seek to be employed in schools, colleges, universities as a counsellor particularly for those who have specialization in educational psychology. There are huge demands for clinical psychologists in hospitals, clinics and nursing homes. Now a day various developmental agencies, rehabilitation centres, prisons, child/ youth guidance centres and NGOs are recruiting counselling psychologists for counselling and rehabilitation of mentally retarded people, old aged, victim of violence, war, drugs addict and child labours.
In order to take up psychology as a career, the most important prerequisite is the inborn and authentic desire to lend a helping hand to the needy human beings. A successful Psychologist need not have a medical degree, but he/she must possess years of experience in various characteristics of psychology. To better facilitate counselling of the masses.
Aspirants can pursue Psychology as a subject at all levels. These days many options are available to aspirants at plus two level, graduate, postgraduate and at doctorate level. For taking up psychology as a major subject while studying for a degree course, a candidate needs to successfully complete his10+2 or intermediate or equivalent. For pursuing a master’s degree in psychology from a reputed university, a candidate needs to have an excellent bachelor’s degree preferably in arts/ humanities etc. After post-graduation, an individual may proceed for research in any particular branch of psychology yet unexplored.
Where: Many colleges and universities in India offer psychology as a subject right from Plus Two levels. Psychology can be studied as an Honors subject at graduation level in most of the colleges and universities. At the master’s and doctoral level, psychology becomes increasingly specialized in specific fields of applied psychology like social psychology, child psychology, clinical psychology and educational psychology. To be a good psychologist there should be certain qualities like genuine interest in people and empathy for their problems, sensitive, caring, patience and communication skill.
Institutions:
- University of Delhi, New Delhi
- Jamia Millia Islamia, New Delhi
- Sardar Patel University, Ahmedabad
- Gurunanak Dev University, Amritsar
- Barkhatullah Viswavidyalaya, Bhopal
- Kuruskhetra University, Rohtak
क्याः मन के अध्ययन को मनोविज्ञान कहते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो यह मानव व पशुओं के मन, व्यवहार एवं विचारों का वैज्ञानिक और व्यवस्थित अध्ययन है। मनोवैज्ञानिक के अंतर्गत मुख्य तौर पर मानव एवं पशुओं के मोटिव्स, रिएक्शन, फिलिंग्स व नेचर की स्टडी की जाती है। वे मरीजों के व्यवहार में हुए परिवर्तन का अध्ययन करने के बाद काउंसलिंग के माध्यम से विचार की प्रक्रिया को बदलते हैं और उनके जीवन के गुणवत्ता में सुधार करते हैं। जीवन में तेजी से बढ़ रहे भौतिकवाद की वजह से लोग अक्सर पर्याप्त भावनात्मक सहयोग ना मिलने के कारण मानसिक हताशा और अवसाद से ग्रस्त हो जाते हैं। इसलिए साइकोलॉजिकल काउंसलर्स की मांग में भी तेजी से इजाफा हो रहा है।
मनोवैज्ञानिक को किसी मेडिकल डिग्री की जरूरत नहीं होती है। फिर भी मनोविज्ञान के विभिन्न पहलुओं में विशेषज्ञता हासिल करने के लिए उनको कई वर्षों तक अध्ययन करना पड़ता है।
इस फील्ड में वेतन स्पेशलिटी एरिया व रोजगार के क्षेत्र के आधार पर बदलता है। आमतौर पर मनोवैज्ञानिक प्रतिमाह 12,000 रुपये से 55,000 रुपये तक कमाते हैं। क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट्स की कमाई प्रतिमाह 12,000 से 35,000 रुपयों के बीच होती है। स्कूल साइकोलॉजिस्ट को बतौर वेतन प्रतिमाह दस से पंद्रह हजार रुपये के आसपास मिलते हैं।
कैसेः इस विषय की बहुआयामी प्रकृति की वजह से इसमें साइकोलॉजिस्ट्स के लिए रोजगार के व्यापक अवसर उपलब्ध हैं। खासकर जिन लोगों ने एजुकेशनल साइकोलॉजी में स्पेशलाइजेशन कर रखा है वे स्कूल, कॉलेज या यूनिवर्सिटिज में बतौर काउंसलर काम कर सकते हैं। हॉस्पिटल्स, क्लीनिक व नर्सिंग होम्स में क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट्स की काफी मांग है। इन दिनों विभिन्न डेवलपमेंटल एंजेसियों, रिहेबिलेशन सेंटर्स, जेल, चाइल्ड/यूथ गाइडेंस सेंटर्स व एनजीओ द्वारा मंद बुद्धि के लोगों, बुजुर्गों, हिंसा के पीड़ितों, नशे के शिकार लोगों व बाल मजदूरों की काउंसलिंग व रिहेबिलेशन के लिए काउंसलिंग साइकोलॉजिस्ट्स की नियुक्ति की जा रही है।
साइकोलॉजी में करियर बनाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण शर्त जरूरतमंद लोगों के मदद की स्वभाविक व प्रामाणिक इच्छा है। सफल मनोवैज्ञानिक बनने के लिए किसी डिग्री की जरुरत नहीं है लेकिन इसके लिए साइकोलॉजी के विभिन्न पहलुओ में गहन अनुभव का होना आवश्यक है। बड़े स्तर पर काउंसलिंग बेहतर होती है।
छात्र मनोविज्ञान को किसी भी स्तर पर एक विषय के रूप में ले सकते हैं। इन दिनों इंटरमीडिएट, ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट और डॉक्टरेट लेवल पर कई विकल्प मौजूद हैं। डिग्री कोर्स की पढ़ाई में साइकोलॉजी को मुख्य विषय के तौर पर लेने के लिए छात्र का 10$2 या कोई समकक्ष परीक्षा पास करना आवश्यक है। किसी प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी से साइकोलॉजी में मास्टर्स की पढ़ाई करने के लिए अभ्यर्थी के पास अच्छे अंको के साथ बैचलर्स की डिग्री होनी चाहिए। पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद साइकोलॉजी के किसी अनएक्सप्लोर्ड ब्रांच में रिसर्च भी किया जा सकता है।
कहांः भारत के कई कॉलेज व यूनिवर्सिटी द्वारा 12वीं कक्षा से ही साइकोलॉजी को विषय के तौर पर पेश किया जा रहा है। ज्यादातर कॉलेज व यूनिवर्सिटीज में ग्रेजुएशन लेवल पर साइकोलॉजी में ऑनर्स किया जा सकता है। मास्टर्स व डॉक्टरेट स्तर पर साइकोलॉजी को सोशल साइकोलॉजी, चाइल्ड साइकोलॉजी, क्लीनिकल साइकोलॉजी व एजुकेशनल साइकोलॉजी जैसे विशिष्ट क्षेत्रों में स्पेशलाइज्ड हो जाता है। अच्छा मनोवैज्ञानिक बनने के लिए लोगों में वास्तविक रुचि, समस्याओं के लिए समानुभूति लमास्टर और डॉक्टरेट स्तर पर, मनोविज्ञान, सामाजिक मनोविज्ञान, बाल मनोविज्ञान, नैदानिक संवेदनशीलता, धैर्य और कम्युनिकेशन स्किल जैसे गुणों का होना बहुत आवश्यक है।
संस्थानः
ऽ यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली, नई दिल्ली
ऽ जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली
ऽ सरदार पटेल यूनिवर्सिटी, अहमदाबाद
ऽ गुरुनानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर
ऽ बरकतुल्लाह यूनिवर्सिटी, भोपाल
ऽ कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी, रोहतक
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