What: Psychiatry as a special field of health care deals with the mental, emotional and behavioural disorders in a person. It explores the labyrinth of the human mind through the help of evidences and subtle techniques. A psychiatrist can differentiate between a mentally healthy person and a mentally sick one. Often, mental and psychosomatic problems arise in patients with various surgical, medical and gynaecological cases. He should peep into the psyche of patients and understand the cause of the deep rooted agonies, anxiety and depression and schizophrenia. Treatments are made on the basis of counselling and then on the basis of medicines.
Psychiatrists too begin with a diagnosis first and then follow it up with treatment, be it medication, counselling, psychotherapy or electrotherapy. They often work with other occupational therapists and social workers for the rehabilitation of patients. Through counselling, psychotherapy, and if required through the use of electric convulsive therapy (ECT) or tranquillisers, psychiatrists work on the patients. Where required, they work on desensitising patients, mainly through hypnosis.
The salary ranges between Rs.15, 000 –Rs.50, 000 per month. In private hospitals the pay-package is slightly higher than that of government one. Private practice through self-employment can provide the best earnings sources to psychiatrist. Private practitioners on one sitting may charge Rs.1000 or more per hour for counselling.
How: A candidate has to acquire an M.B.B.S degree from a medical college and appear for a post- graduate examination to study psychiatry as a subject of specialization. There are two options – they may either do a postgraduate course (MD) in psychiatry or a diploma in psychiatry (DPM). The MD course is of three years’ duration while the diploma course is of two years. Besides, one can also join the DNB course organized by the National Board of Examinations which is equivalent to an MD. The course also includes practical training at mental hospitals.
Where: Job opportunities for psychiatrists in India are immense. Psychiatrists can seek employment in regular hospitals as well as in mental hospitals. Many of them also work in rehabilitation centres to rehabilitate drug addicts, dipsomaniacs, juvenile delinquents and others with other occupational therapists and social workers. They are appointed in private hospitals, clinics and health institutes. They can also start private practice at home or by opening their own clinics. They can also work as a counsellor in schools, colleges, hospitals, courts, prison and even for NGOs and large scale industries. Others also have the option of choosing teaching this subject as a career.
Institutions:
क्याः साइकेट्री हैल्थ केयर की एक स्पेशल क्षेत्र है जिसके अंतर्गत मनोरोग व मानसिक तौर पर बीमार लोगों का इलाज किया जाता है। इसमें सूक्ष्म तकनीक की मदद से मानव मन की गुत्थियों को उजागर किया जाता है। साइकेट्रिस्ट द्वारा मानसिक तौर पर स्वस्थ और मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति की पहचान की जा सकती है। आमतौर पर विभिन्न सर्जिकल, मेडिकल व गाइनोलॉजिकल मामलों की वजह से मानसिक व मनोदैहिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। साइकेट्रिस्ट को मरीजों के मन में झांकते हुए बीमारी,चिंता, अवसाद व पागलपन की असली वजह की पहचान करनी होती है। इसमें पहले काउंसलिंग के माध्यम से उपचार किया जाता है उसके बाद दवाएं दी जाती हैं।
साइकेट्रिस्ट्स भी डायग्नोसिस से शुरुआत करते हैं उसके बाद मेडिकेशन, काउंसलिंग, साइकोथेरेपी या इलेक्ट्रोथेरेपी के माध्यम से मरीजों का इलाज किया जाता है। अक्सर वे मरीजों के रिहेबिलेशन के लिए अन्य ऑक्युपेशनल थेरेपिस्ट्स व सोशल वर्कर्स के साथ मिलकर काम करते हैं। काउंसलिंग, साइकोथेरेपी व जरुरत पड़ने पर इलेक्ट्रिक कंवलसिव थेरेपी(ईसीटी) या ट्रेंक्यूलाइजर्स के माध्यम से साइकेट्रिस्ट्स द्वारा मरीजों का इलाज किया जाता है। जरुरत पड़ने पर साइकेट्रिस्ट्स द्वारा मेस्मरिज्म का इस्तेमाल भी किया जाता है।
शुरुआती स्तर पर साइकेट्रिस्ट का वेतन 15,000 रुपये से 50,000 रुपये के बीच हो सकता है। प्राइवेट हॉस्पिटल्स में पैकेज सरकारी अस्पतालों की अपेक्षा थोड़ा अधिक होता है। इसके अलावा प्राइवेट प्रेक्टिस के माध्यम से भी साइकेट्रिस्ट्स अच्छे पैसे कमा सकते हैं। प्राइवेट प्रेक्टिशनर्स द्वारा प्रति घंटे की काउंसलिंग के लिए 1000 रुपये या उससे भी ज्यादा का चार्ज लिया जाता है।
कैसेः साइकेट्री को स्पेशलाइजेशन करने के लिए अभ्यर्थी के पास मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री होनी चाहिए। उनके पास दो विकल्प हैं- या तो वे साइकेट्री में पोस्ट ग्रेजुएशन(एमडी) कर सकते हैं या फिर वो साइकेट्री में डिप्लोमा(डीपीएम) के विकल्प को चुन सकते हैं। एमडी कोर्स की अवधि तीन साल की होती है जबकि डिप्लोमा कोर्स दो साल के होते हैं। इसके अलावा नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन द्वारा आयोजित डीएनबी कोर्स को भी किया जा सकता है जो एमडी के कोर्स के समकक्ष होता है। कोर्स के अंतर्गत मेंटल हॉस्पिटल्स में प्रेक्टिकल ट्रेनिंग भी शामिल है।
कहांः भारत में साइकेट्रिस्ट्स के लिए रोजगार की असीम संभावनाएं मौजूद हैं। साइकेट्रिस्ट्स नियमित अस्पतालों के अलावा मानसिक अस्पतालों में भी काम कर सकते हैं। कई साइकेट्रिस्ट्स ड्रग एडिक्ट व जुविनाइल्स जैसे मरीजों के रिहेबिलेशन के लिए अन्य ऑक्युपेशनल थेरेपिस्ट्स व सोशल वर्कर्स के साथ मिलकर काम करते हैं। प्राइवेट हॉस्पिटल्स, क्लीनिक्स व हेल्थ इंस्टिट्यूट्स में उनकी नियुक्ति की जाती है। इसके अलावा वे स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल्स, कोर्ट्स, जेल, एनजीओ व लार्ज स्केल इंडस्ट्रीज में बतौर काउंसलर भी काम कर सकते हैं। अन्य लोगों के पास इस विषय के टीचर बनने का विकल्प भी उपलब्ध है।
संस्थानः
ऽ ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, नई दिल्ली
ऽ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ़
ऽ टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल सांइसेज, मुंबई
ऽ इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेकनोलॉजी (आईआईटी), खड़गपुर
ऽ इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस, बंगलौर
ऽ सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑप साइकेट्री, रांची
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