Career in Naval Architecture, Ocean Engineering / नेवेल ऑर्चिटेक्चर, ओसन इंजीनियरिंग में करियर

What: Naval architects are basically engineers who deal with the design, construction, maintenance and operation of marine vessels and structures like watercrafts, hydrofoils and oil drilling platforms. They do research, design development, design evaluation and stability calculations during all stages of the life of a marine vehicle. Preliminary design of the vessel, its detailed design, construction, trials, operation and maintenance, launching and dry-docking are the main activities involved.

Ocean Engineers invent Oceanographic instruments and devices for use by Oceanographers. These instruments and devices are used to study about oceans and their impact on eco systems. Ocean Engineers study engineering sciences, and receive training in core study areas related to Ocean Engineering and Naval Architecture.

The starting salary of an ocean engineering graduate employed in a government sector enterprise such as ONGC and Bombay High may be about Rs. 50,000 to 75,000 per month. MNCs and reputed companies such as Reliance Petroleum, Bharat Petroleum, and EXXON offer a starting salary of Rs. 125,000 to Rs. 250,000 per month. Salaries of professionals deputed to Gulf countries go up to about 10,000 to Rs. 12,000 dinars per month, plus perquisites.

How: Land resources are getting scarce and oceans and water bodies would be the destination in future. Small countries like Singapore are expanding and creating artificial land and underwater structures. For a country like India which surrounded by water on three sides the potential in water structures and vehicles is huge. Who knows India will have commercial floating airport or floating city. All the structures and developments in the oceans is made possible by Naval architects and Ocean Engineers.

 

Naval Architect: The course is a four-year B.E. or B.Tech degree programme that covers the aspects of ship design, ship construction, ship theory, ship maintenance, ship hydrodynamics, ship hydrostatics and ship structure. All the four years are interspersed with practical and hands-on training. The basic idea is to make the students employable from day one after passing out.

Ocean Engineering: The eligibility criterion for undergraduate programme in ocean engineering is 10+2 with physics, chemistry and mathematics from any recognized board. In order to pursue post graduate programmes in ocean engineering candidates are required to qualify the Graduate Aptitude test in Engineering (GATE), CSIR NET.

Where: Ocean industry is growing and still on the verge of growing more in the upcoming years. Study has shown the growth in the international trade. Advancement in engineering practices is being applied here as the techniques are getting improved which has increased the growth in this field. In India this technology is still new and it will increase not rapidly but slowly day by day. But this field has high potential to grow with the development of new technologies. The employment in this field has increased the standard of living as well. This field is becoming more popular between the engineers as it combines many other fields of engineering.

Institutions:

  • Indian Institute of Technology – Madras
  • Indian Institute of Technology – Kharagpur
  • Cochin University of Science and Technology – Cochin
  • National Institute of Technology – Surathkal
  • National Institute of Technology – Calicut
  • National Institute of Oceanography (NIO) – Panjim

क्याः नेवेल ऑर्चिटेक्ट्स दरअसल वे इंजीनियर्स होते हैं जो मैरीन वैसेल के डिजाइन, कंस्ट्रक्शन, मेंटनेंस व ऑपरेशन और वॉटरक्राफ्ट्स, हाइड्रोफॉयल्स व ऑयल ड्रिलिंग प्लेटफॉर्म जैसे स्ट्रक्चर्स से डील करते हैं। वे समुद्री वाहन के जीवन के सभी चरणों के दौरान रिसर्च, डिजाइन डेवलपमेंट, डिजाइन के मूल्यांकन व उसकी स्थिरता की गणना करते हैं। पोत की शुरूआती डिजाइन, उसका विस्तृत डिजाइन, निर्माण, परीक्षण, संचालन और रखरखाव के साथ साथ लॉन्चिंग व ड्राई-डॉकिंग उनकी मुख्य कार्य गतिविधियों में शामिल होता है।

ओशन इंजीनियर्स द्वारा ओशियनोग्राफर्स का उपयोग करते हुए ओशियनग्राफिक उपकरणों व यंत्रो का आविष्कार किया जाता है। इन यंत्रो व उपकरणों का इस्तेमाल समुद्र के बारे में अध्ययन करने व इकोसिस्टम पर पड़ने वाले उसके प्रभावों की जांच में किया जाता है। ओशन इंजीनियर्स इंजीनियरिंग साइंस की पढ़ाई करते हैं और ओशन इंजीनियरिंग एवं नेवेल आर्चिटेक्चर से जुड़े क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं।

ओएनजीसी या बांबे हाई जैसे सरकारी क्षेत्रों में कार्यरत ओशन इंजीनियरिंग ग्रेजुएट का शुरुआती वेतन प्रतिमाह 50,000 से 75,000 रुपये के बीच हो सकता है। रिलायंस पेट्रोलियम, भारत पेट्रोलियम, और एक्सॉन जैसी प्रतिष्ठित व बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा शुरुआती स्तर पर प्रतिमाह 125,000 से 250,000 रुपये तक के वेतन की पेशकश की जाती है। खाड़ी देशों में जॉब करने वाले प्रोफेशनल्स की तनख्वाह प्रतिमाह दस से बारह हजार दिनार तक हो सकती है।

कैसेः दिन प्रतिदिन भूमि संसाधनों के दुर्लभ होने की वजह से भविष्य में समुद्र व अन्य जल निकाय ही हमारा ठिकाना बनेंगे। सिंगापुर जैसे छोटे देशों द्वारा कृत्रिम जमीन और पानी के भीतर संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है। भारत जैसे तीन तरफ से पानी से घिरे देश में वॉटर स्ट्रक्चर और व्हैक्लिस के लिए जबरदस्त संभावनाएं हैं। हो सकता है भविष्य में भारत के पास फ्लोटिंग सिटी में तैरता हुआ कमर्शियल एयरपोर्ट हो। समुद्र में होने वाले प्रत्येक निर्माण व विकास को नेवल आर्किटेक्ट्स और ओशन इंजीनियर्स द्वारा ही संभव बनाया जाता है।

नेवल आर्चिटेक्टः यह चार वर्षीय बी.ई. या बीटेक डिग्री प्रोग्राम है जिसके अंतर्गत शिप के डिजाइन, कंस्ट्रक्शन, थ्योरी, मेंटनेंस, हाइड्रोइनेमिकस हीड्रास्टाटिक्स और उसकी संरचना से जुड़े विभिन्न पहलुओ को कवर किया जाता है। चार साल के कोर्सेज में प्रेक्टिकल के साथ साथ हैंड-ऑन-ट्रेनिंग भी दी जाती है। इनका उद्देश्य विद्यार्थियों को पासआउट करने के बाद पहले दिन से रोजगार के लिए सक्षम बनाना होता है।

ओशन इंजीनियरिंगः ओशन इंजीनियरिंग में अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम करने के लिए किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से फिजिक्स, केमिस्ट्री व मैथमैटिक्स के साथ 10$2 पास होना जरुरी है। ओशन इंजीनियरिंग में पोस्ट ग्रेजुएशन करने के लिए अभ्यर्थियों को ग्रेजुएट एप्टिट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग(गेट) या सीएसआईआर नेट की परीक्षा पास करना आवश्यक होता है।

कहांः ओशन इंडस्ट्री विकसित हो रही है और आने वाले वर्षों में इसमें विकास की असीम संभावनाएं मौजूद हैं। अध्ययन से पता चलता है कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि हुई है। तकनीक में सुधार के साथ इंजीनियरिंग का क्षेत्र भी काफी आधुनिक हुआ है जिसकी वजह से इस क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा है। भारत में यह तकनीक अभी भी नयी है और इसमें बहुत तेजी से नहीं बल्कि दिन प्रतिदिन धीरे-धीरे इजाफा होगा। लेकिन नई टेक्नोलॉजीज के विकास के साथ इस क्षेत्र में आगे बढ़ने की काफी संभावनाएं हैं। इस क्षेत्र में रोजगार से जीवन के स्तर में भी सुधार हुआ है। इंजीनियरिंग के कई अन्य क्षेत्रों को एकसाथ जोड़ने की वजह से इस क्षेत्र को इंजीनियर्स द्वारा काफी पसंद किया जा रहा है।

संस्थानः

  • इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी – मद्रास
  • इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी – खड़गपुर
  • कोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नालॉजी – कोचीन
  • नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी – सूरतकल
  • नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी – कालीकट
  • नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओशियनोग्रॉफी (एनआईओ) – पंजिम

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