What: Dancing is an inherent part of Indian culture. There are many well-known classical and folk dances. These dance forms are typical to certain parts of the country and have taken on the hue and texture of that region. The two main divisions of dance are classical and folk forms.
Among the most popular classical styles of dance seen on stage are Bharatnatyam of Tamil Nadu, Odissi of Orissa, Kathakali of Kerala, Kuchipudi of Andhra Pradesh, Kathak of Lucknow and Manipuri of Manipur. There are several other forms of dances that fall into the category of semi-classical, folk, drama and martial arts contributing to the panorama of dance in India. Some artists who have been able to command attention earn a substantial amount from the pursuit of their art as a full-time career. But the numbers are very few. Thus in their case the success in their careers depends upon their expertise in the field.
How: Training in Dance should start as early as age six or less, much before the official professional training. Besides an in born talent, the basic requirement for a full time Professional training is matriculation or 10 + 2. Some institutes at the time of admission even give preference to students having a talent. Careers in this field can be that of a performer, teacher and choreographer.
To be in this field one needs an aptitude to teach, initiative and patience. They must also have thorough knowledge of practical and theoretical aspects of dance. They should have a perfect sense of rhythm, and some proficiency in music. Dancers who take up teaching as a profession can find opportunities in schools, colleges, universities, dance institutes and even open schools of their own.
Where: Lots of dancers are employed by academies, Kala Kendras, Doordarshan, Dance troupes, All India Radio and teaching institutions engaged in imparting dance education. Also opportunities to drama artists are offered by professional theatrical and opera companies and semi-theatrical institutions like AIR, TV studios, movie studios, films division, song and drama divisions and many more. Nowadays quite a few corporate houses and private institutions sponsor performances of musicians and dancers to promote their products.
Institutions: (See Below)
क्याः नृत्य भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। यहां कई प्रसिद् शास्त्रीय और लोक नृतक हुए हैं। नृत्य के ये स्वरूप विशिष्ट रुप से देश के कुछ भागों के हैं और उनमें उस क्षेत्र की रंग और संस्कृति समाहित है। नृत्य के दो मुख्य प्रारुप शास्त्रीय और लोक नृत्य होते हैं
मंच पर देखी जाने वाली नृत्य की सबसे लोकप्रिय शास्त्रीय शैलियों में तमिलनाडु का भरतनाट्यम, उड़ीसा का ओडिसी, केरल का कथकली, आंध्र प्रदेश का कुचिपुड़ी, लखनऊ का कथक और मणिपुर का मणिपुरी शामिल है। नृत्य के कई अन्य रूप हैं जो अर्ध-शास्त्रीय, लोक, नाटक और मार्शल आर्ट की श्रेणी में आते हैं और भारत के डांस पैनोरमा में अद्वितीय योगदान देते हैं। ध्यान आकर्षित करने में सफल रहे कुछ कलाकार इस क्षेत्र में अपनी कला को अपना करियर बनाकर अच्छा पैसा कमा रहें हैं। लेकिन उनकी संख्या बहुत सीमित है। इस तरह उनके मामले में करियर की सफलता काफी हद तक उनकी विशेषज्ञता पर निर्भर करती है।
कैसेः नृत्य में प्रशिक्षण की शुरुआत औपचारिक प्रोफेशनल ट्रेनिंग से काफी पहले छह साल या उससे कम उम्र में हो जानी चाहिए। जन्मजात प्रतिभा के अलावा पूर्णकालिक व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए मैट्रिक या 10़2 की योग्यता होनी चाहिए। कुछ संस्थानों द्वारा प्रवेश के समय प्रतिभावान छात्रों को वरीयता दी जाती है। इस क्षेत्र में परफॉर्मर, टीचर और कोरियोग्राफर के तौर पर करियर बनाया जा सकता है।
इस क्षेत्र में बने रहने के लिए सीखाने की योग्यता और धैर्य का होना बहुत जरुरी है। उनके पास नृत्य के व्यावहारिक और सैद्धांतिक पहलुओं की गहन जानकारी भी होनी चाहिए। उनमें रिदम की सही समझ और संगीत में प्रवीणता होनी चाहिए। टीचिंग को प्रोफेशन के तौर पर चुनने के इच्छुक डांसर्स स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों नृत्य संस्थानों में अवसरों की तलाश कर सकते हैं या फिर अपना खुद का स्कूल भी खोल सकते हैं।
कहांः बहुत सारे डांसर्स को अकादमियों, कला केन्द्रों, दूरदर्शन, नृत्य मंडलियों, ऑल इंडिया रेडियो और नृत्य शिक्षा प्रदान करने वाले शिक्षण संस्थानों द्वारा नियोजित किया जा रहा है। इसके अलावा ड्रामा आर्टिस्ट्स के लिए प्रोफेशनल नाट्य व ओपेरा कंपनियों के साथ साथ और आकाशवाणी, टीवी स्टूडियो, फिल्म स्टूडियो, फिल्म डिवीजन व सॉन्ग एंड ड्रामा डिवीजन जैसे अर्ध-नाट्य संस्थाओं द्वारा भी अवसरों की पेशकश की जा रही है। आजकल कई कॉर्पोरेट घरानों और निजी संस्थानों द्वारा अपने प्रोडक्ट्स को बढ़ावा देने के लिए म्यूजिसियन एवं डांसर्स के परफॉर्मेंस को स्पॉन्सर किया जा रहा है।
संस्थानः
INSTITUTES:
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