Career in Aircraft Maintenance

Career in Aircraft Maintenance (Engineer) / एयरक्राफ्ट मेंटनेंस इंजीनियरिंग में करियर

What: World-wide, the business of aircraft maintenance is enormous, and is set to expand. The approximate number of aeroplanes currently in service world-wide is around 500,000 passenger and cargo aircraft and about four million smaller private aircraft used for business or pleasure.

India is one of the fastest developing countries in the world. Due to the liberalisation policies of the government, there is tremendous growth in civil aviation. Many private airlines and corporations are operating today with very good operating revenues. To meet the growing need of the passenger airlines, cargo aircrafts, private air taxi operators, business and corporate jets, there exists an urgent need for aircraft maintenance engineers.

The aviation industry has two main branches: flying branch and maintenance branch. While pilots fly the aircraft, aircraft maintenance engineers are concerned with the maintenance of the aircraft. An aircraft maintenance engineer has to obtain a licence from the Directorate General of Civil Aviation (DGCA).

Remuneration in this field is very attractive. In Indian Airlines, Air India, Pawan Hans and other private airlines, engineers get a starting gross salary of about 25,000 to 40,000 pm which goes up to 1.20 lakh, whereas the total training cost is only around 1.25 lakh.

How:  Aircraft maintenance engineers also learn to set engine controls and to test for their correct functioning. They play a major role among the maintenance personnel to keep the aircraft ‘airworthy’ at all times. The maintenance of modern sophisticated aircrafts calls for high degree of technical knowledge, competence, proficiency, dexterity and integrity on part of the concerned personnel. Aircraft engineers research, design, manufacture and maintain aircraft. They work on any and every mechanical aspect of the craft, including airframes, hydraulics and pneumatics, engines and fuel systems and control and communications systems. Engineers are involved in the following stages of aircraft production and manufacture: the design of new products such as components or entire engines; the manufacture and assembly of aircraft parts; research into solutions for complex engineering problems; maintenance of the finished craft to ensure safety and operational status.

Where: A course in aircraft maintenance engineering is not a degree but a licence course and only those institutes approved by the DGCA (Directorate General of Civil Aviation) impart training in this subject. The minimum eligibility criterion for getting admission into any one of the institutes is 10+2 or equivalent with physics, chemistry and mathematics.

Institutions:

  • School of Aviation Science & Technology, Delhi
  • Indian Institute of Aeronautics, School of Aeronautics and Indian Institute of Aeronautical science, New Delhi
  • Institute of Aircraft Maintenance Engineers, Rajiv Gandhi Aviation Academy, Hyderabad
  • Nehru College of Aeronautics & Applied Sciences, Luknow
  • Air Force Technical College, Kolkata
  • Bangalore and Mechanical Training Institute, Madras.

क्या: पूरी दुनिया में एयरक्राफ्ट मेंटनेंस का वृहद कारोबार है और इसका लगातार विस्तार भी हो रहा है। फिलहाल तकरीबन पांच लाख पैसेंजर्स एवं कार्गो एयरक्राफ्ट और व्यापार इत्यादि में इस्तेमाल होने वाले चालीस लाख छोटे प्राइवेट एयरक्राफ्ट दुनिया भर में सेवाएं दे रहे हैं।

भारत दुनिया के सबसे तेजी से विकसित हो रहे देशों में से एक है। सरकार की उदारीकरण की नीतियों की वजह से नागरिक उड्डयन में जबरदस्त इज़ाफा हुआ है। आज कई प्राइवेट  एयरलाइंस और कॉरपोरेशन इस क्षेत्र में अच्छा कारोबार कर रहे हैं। व्यापार एवं कॉर्पोरेट जेट्स, पैसेंजर एयरलाइंस, कार्गो एयरक्राफ्ट्स, प्राइवेट एयर टैक्सी आपरेटर्स की लगातार बढ़ती जरूरतो को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर एयरक्राफ्ट मेंटनेंस इंजीनियर्स की आवश्यकता है।

एविएशन इंडस्ट्री में दो मुख्य ब्रांच होते हैं: फ्लाइंग ब्रांच और मेंटनेंस ब्रांच। पायलट जहां एयरक्राफ्ट के साथ उड़ान भरते हैं वहीं एयरक्राफ्ट मेंटनेंस इंजीनियर्स एयरक्राफ्ट का रखरखाव करते हैं। एयरक्राफ्ट मेंटनेंस इंजीनियर्स को नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) से लाइसेंस प्राप्त करना होता है।

पारिश्रमिक के लिहाज से यह क्षेत्र बेहद आकर्षक है। एक इंजीनियर शुरुआती तौर पर इंडियन एयरलाइंस, एयर इंडिया, पवन हंस और अन्य प्राइवेट एयरलाइंस में प्रतिमाह पच्चीस से चालीस हजार रुपये तक प्राप्त कर सकता है जो बढ़ते अनुभव के साथ 1.20 लाख तक पहुंच सकता है, जबकी एयरक्राफ्ट मेंटनेंस इंजीनियर बनने में कुल प्रशिक्षण लागत करीब 1.25 लाख का आता है।

कैसे: एयरक्राफ्ट मेंटनेंस इंजीनियर्स इंजन कंट्रोल को सेट करने के साथ उसका परीक्षण करना भी सीखते हैं। जहाज को हमेशा उड़ने लायक बनाये रखने में एयरक्राफ्ट मेंटनेंस इंजीनियर की बेहद अहम भूमिका होती है। आधुनिक एयरक्राफ्ट्स के मेंटनेंस के लिये उच्च स्तर के तकनीकी ज्ञान, योग्यता, दक्षता और कौशल की आवश्यकता पड़ती है। एयरक्राफ्ट इंजीनियर एयरक्राफ्ट पर रिसर्च करते है, उसे डिजाइन करते है, उसका निर्माण करते है और उसका मेंटनेंस भी करते हैं। वे एयरफ्रेम्स, हाइड्रोलिक्स व न्यूमेटिक्स, इंजन एंव फ्यूल सिस्टम और कंट्रोल एवं कम्यूनिकेशन सहित क्राफ्ट से जुड़े हर यांत्रिक पहलूओ पर काम करते हैं। एयरक्राफ्ट मेंटनेंस इंजीनियर्स एयरक्राफ्ट के उत्पादन और निर्माण को निम्न चरणों मे करते हैं: किसी उपकरण या फिर पूरे इंजन की डिजाइनिंग; एयरक्राफ्ट पार्टस का निर्माण और उनकी एसेंबलिंग; जटिल इंजीनियरिंग समस्याओं के समाधान के लिये रिसर्च; सुरक्षा एवं परिचालन की स्थिति को सुनिश्चित करने के लिए तैयार एयरक्राफ्ट का मेंटनेंस।

कहां: एयरक्राफ्ट मेंटनेंस इंजीनियरिंग केवल एक डिग्री नहीं बल्कि लाइसेंस कोर्स है और सिर्फ डीजीसीए (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) से अनुमोदित संस्थान ही इस विषय में ट्रेनिंग दे सकते हैं। किसी भी संस्थान में प्रवेश प्राप्त करने की न्यूनतम योग्यता भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और गणित के साथ 10+2 उतीर्ण या समकक्ष है।

संस्थान:

  • स्कूल ऑफ एविएशन साइंस एंड टेक्नॉलजी, दिल्ली
  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोनॉटिक्स, स्कूल ऑफ एयरोनॉटिक्स एंड इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोनॉटिकल साइंस, नई दिल्ली
  • इंस्टीट्यूट ऑफ एयरक्राफ्ट मेंटनेंस इंजीनियर्स, राजीव गांधी एविएशन एकेडमी, हैदराबाद
  • नेहरू कॉलेज ऑफ एयरोनॉटिक्स एंड एप्लाइड साइंसेज, लखनऊ
  • एयरफोर्स टेक्निकल कॉलेज, कोलकाता
  • मैकेनिकल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, मद्रास

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