What: Aeronautical, or aerospace, engineering deals with the development of new technology in the field of aviation, space exploration, and defence systems. It specializes in the designing, construction, development, testing, operation, and maintenance of commercial and military aircraft, spacecraft and their components, and satellites and missiles. The main thrust in this area is on design and development, which extends to even space and satellite research. Specializations are offered in areas, like structural design, navigational guidance and control systems, instrumentation and communication, and production methods. Aeronautical engineering aspirants can also focus on a particular product, such as military aircrafts, passenger planes, helicopters, satellites, rockets etc.
The specialisations includes in areas like structural design, navigational guidance and control systems, instrumentation and communication or production methods or it can be in a particular product such as military aircrafts, passenger planes, helicopters, satellites, rockets etc. Engineers may work in areas like design, development, and maintenance as well as in the managerial and teaching posts in institutes.
Salary of most aeronautical engineers depends on academic excellence and individual skills, but the average start-up pay in this field ranges from 3-5 lakhs per annum. A highly skilled and experienced aeronautical engineer may even be offered a package of Rs.80, 000 – 1.25 lakh per month. Generally, salary and perquisites are better in the private sector than the government sector. The approximate starting salaries in the government/public sectors, such as HAL and NAL, are Rs.30,000 to Rs.40,000 per month. Those working in research organizations, like ISRO and DRDO, are paid monthly remuneration of Rs.35,000 to Rs.45,000.
How: Aeronautical Engineers work with one of the most technologically advanced branches of engineering. The main thrust in this area is on design and development of aircrafts to space and satellite research. Jobs are available with the national, international, public and private Airline Services as well as aircraft-manufacturing units. Job opportunities for an Aeronautical Engineer in India, lies with various airlines like Air India, Indian Airlines, Helicopter Corporation of India and flying clubs, private airlines and government owned air service and aircraft manufacturers.
To be an aeronautical engineer one should have a graduate degree (B.E/B.Tech.) or at least a diploma in Aeronautics. The degree and postgraduate degree courses are offered by the engineering colleges and Institutes of Technology (IITs), and the diploma courses are available at polytechnics. The basic eligibility criteria for a BE / B.Tech is 10+2 or equivalent examination, with Physics, Chemistry and Mathematics and must have a fairly high percentage of marks in the aggregate. One must also pass the qualifying exam JEE (Joint Entrance Exam) conducted by the IIT.
Where: Besides the IITs, there are other institutes which conduct their respective entrance examinations for offering admission to students. Plus, there are various national and state level entrance exams for admission in this course. But most institutes running engineering courses in aeronautics consider JEE score as the qualifying grade. Besides, diploma courses are also available in aeronautical engineering. BE/B.Tech is a four-year program, while Diplomas run for 2-3 years in duration. For M.Tech or PhD program in aeronautical engineering, one should obtain a bachelor’s degree in aeronautical engineering, or any other equivalent branches of engineering.
Institutions: (see below)
क्याः एरोनॉटिकल या एरोस्पेस इंजीनियरिंग के अंतर्गत एविएशन, स्पेस एक्सप्लोरेशन और डीफेंस सिस्टम जैसे क्षेत्रों में नई तकनीक के विकास पर काम किया जाता है। इसके तहत कमर्शियल व मिलट्री एयरक्राफ्ट, स्पेसक्राफ्ट व उसके कंपोनेंट्स एवं सैटेलाइट व मिसाइल की डिजाइनिंग, कंस्ट्रक्शन, डेवलपमेंट, टेस्टिंग तथा ऑपरेशन में विशेषज्ञता दिलायी जाती है। इस क्षेत्र में मुख्य जोर डिजाइन व डेवलपमेंट पर रहता है जिसका दायरा स्पेस और सैटेलाइट रिसर्च तक भी है।
स्ट्रक्चरल डिजाइन, नेविगेशनल गाइडेंस एंड कंट्रोल सिस्टम, इंस्ट्रूमेंटेशन एंड कम्युनिकेशन व प्रोडक्ट मेथड जैसे क्षेत्रों में स्पेशलाइजेशन की पेशकश भी की जाती है। एरोनॉटिकल इंजीनियर्स मिलट्री एयरक्राफ्ट, पैसेंजर प्लेन, हेलीकाप्टर्स, सैटेलाइट या रॉकेट जैसे विशेष प्रोडक्ट्स पर भी फोकस कर सकते हैं।
स्पेशलाइजेशन में स्ट्रक्चरल डिजाइन, नेविगेशनल गाइडेंस एंड कंट्रोल सिस्टम, इंस्ट्रूमेंटेशन एंड कम्युनिकेशन या प्रोडक्ट मेथड जैसे क्षेत्र शामिल हो सकते हैं या फिर ये मिलट्री एयरक्राफ्ट, पैसेंजर प्लेन, हेलीकाप्टर्स, सैटेलाइट या रॉकेट जैसे विशेष उत्पाद भी हे सकते हैं। इंजीनियर्स को डिजाइन, डेवलपमेंट और मैनटेंस के साथ साथ इंस्टीट्यूट्स में मैनेजरल या टीचिंग पोस्ट्स पर काम करना पड़ सकता है।
ज्यादातर एरोनॉटिकल इंजीनियर्स का वेतन अकादमिक उत्कृष्टता और व्यक्तिगत कौशल पर निर्भर करता है, लेकिन इस क्षेत्र में औसतन वेतन की शुरुआत सालाना 3-5 लाख रुपये से होती है। एक कुशल और अनुभवी एरोनॉटिकल इंजीनियर को प्रतिमाह 80000 से 125000 रुपये के पैकेज तक की पेशकश की जाती है। आम तौर पर प्राइवेट सेक्टर्स में सरकारी क्षेत्रों की अपेक्षा वेतन और अनुलाभ बेहतर होता है। एचएएल और एनएएल जैसे सरकारीध्सार्वजनिक क्षेत्रों शुरुआती वेतन लगभग 30000 से 40000 रुपये प्रतिमाह तक हो सकता है। इसरो और डीआरडीओ जैसे रिसर्च ऑर्गेनाइजेश में काम करने वाले लोगों को प्रतिमाह 35 से 45000 रुपये तक की दिए जाते हैं।
कैसेः एयरनॉटिकल इंजीनियर्स को इंजीनियरिंग की सबसे उन्नत तकनीकी वाली शाखाओं के साथ काम करना होता है। इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा ध्यान उपग्रह अनुसंधान के लिए विमान के डिजाइन और डेवलपमेंट पर दिया जाता है। रोजगार के अवसर राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, सार्वजनिक और निजी विमान सेवाओं के साथ एयरक्राफ्ट मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स में भी उपलब्ध हैं। भारत में एरोनॉटिकल इंजीनियर के लिए एयर इंडिया, इंडियन एयरलाइंस, हेलीकाप्टर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और फ्लाइंग क्लब्स, प्राइवेट एयरलाइंस व सरकारी एयर सर्विस और एयर क्राफ्ट निर्माताओं के साथ काम करने के बेहतरीन अवसर उपलब्ध हैं।
एयरनॉटिकल इंजीनियर बनने के लिए एयरोनॉटिक्स में ग्रेजुएट की डिग्री (बी.टेक/बी.ई) या कम से कम डिप्लोमा होना चाहिए। डिग्री और पोस्टग्रेजुएट डिग्री कोर्सेज की पेशकश इंजीनियरिंग कॉलेजों और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी (आईआईटी) द्वारा की जाती है जबकी डिप्लोमा कोर्सेज पॉलिटेक्निक्स में उपलब्ध हैं। बी.ईध्बी.टेक के लिए बुनियादी पात्रता मानदंड भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित में अच्छे अंक प्रतिशत के साथ 10$2 या समकक्ष परीक्षा है। इसके अलावा आईआईटी द्वारा आयोजित पात्रता परीक्षा जेईई (संयुक्त प्रवेश परीक्षा) को पास करना भी आवश्यक होता है।
कहांः आईआईटी के अलावा, कई अन्य संस्थानो द्वारा भी छात्रों के एडमिशन के लिए प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा इनन पाठ्यक्रमो में प्रवेश के लिए विभिन्न राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय प्रवेश परीक्षाओं के आयोजन भी किये जाते हैं। लेकिन एयरनॉटिक्स में इंजीनियरिंग कोर्सेज को पेश करने वाले ज्यादातर इंस्टीट्यूट्स जेईई के स्कोर को ही क्वालिफाइंग ग्रेड मानते हैं। इसके अलावा एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा कोर्सेज भी उपलब्ध हैं। एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बीई व बीटेक की अवधि जहां चार साल की होती है वहीं इसमे डिप्लोमा कोर्सेज 2-3 साल की अवधि के होते हैं। एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में एम.टेक या पीएचडी प्रोग्राम के लिए एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग या इंजीनियरिंग की किसी भी अन्य समकक्ष शाखा में बैचलर डिग्री होनी चाहिए।
संस्थानः
INSTITUTES
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