Career in Veterinary Science / वेटरनिटी साइंस में करियर

What: Veterinary science is a medical profession that deals with the control of disease in animals. A veterinarian or a doctor of animals’ primary responsibility is to look after the health and welfare of the animals. It also includes the breeding and scientific handling of livestock.

Veterinarians can choose to work in urban areas, where the work would mostly include the care and handling of domestic pets, or with the government’s animal husbandry departments. The job profile of veterinarians is probably much more than that of a general physician or a surgeon. They diagnose the disease; work to prevent and control animal diseases; treat sick and injured animals; prevent the transmission of the animal diseases to people and advise owners on proper care of the pets and the livestock.

Their initial pay package will be as much as Rs.10, 000 – Rs.15, 000 a month. Governmental departments will also take in professionals in the post of livestock development officers.  Monthly salary of these individuals will be just about Rs. 20, 000 – Rs. 30, 000 a month on the basis of the number of years of experience they have in their chosen field. In colleges, vets in the post of Assistant Professor will get approximately over Rs 4,000.

In general, a vet can make around Rs.5, 000 to Rs.80, 000 each month.

How: Veterinary doctors deal with the treatment, care and handling of domestic pets, livestock, animals in the zoo, laboratory, sporting animals or animals with the government’s animal husbandry departments. They take up practice exclusively of either large animals such as cattle including horses, pigs, sheep; poultry etc. or small animals mainly household pets including dogs, cats, birds etc. or both. The approach in treatment vary according to different animals. The vets must be familiar with the many breeds of pets or livestock and the characteristics of each so that they can recommend diets, exercise regiments and treatment, specific to the breed.

 

To practice as a veterinarian it is essential to have a Bachelor’s degree in Veterinary Science. To be eligible for B. V. Sc & Animal Husbandry course, you should be 10+2 with science subjects such as Physics, Chemistry and Biology.  It’s an allied medical science. Second best to medicine is Veterinary Science and Dentistry followed by Pharmacy and Biotechnology.

The demand of vets is on the rise in view of huge livestock population vis- a- vis demand of quality animal products. Due to commercialization of veterinary industry and liberalization of policies more and more international industries dealing in food manufacturing, pharmaceutical, diagnostic and vaccine production etc. have opened the doors for veterinarian.

Canine and feline keeping in cosmopolitan cities, establishment of dairy and poultry industries, meat and milk processing ventures, establishment of livestock business and marketing etc. are gaining momentum.

Where: To cater to the needs of huge livestock population, many national and international companies in the field of nutrition, pharmaceuticals, milk/meat processing centers, diagnostics and for vaccine production have also been coming ups. Again the demand of technocrats increases in these sectors. Many NGO’S run by animal lover’s animal welfare boards/clubs, private agencies are also coming for animals help and are employing the veterinarians. Similarly zoos, national parks and sanctuaries recruit the veterinarians to take care of their animals.

Institutions:

  • T. Rama Rao College of Veterinary Science- Gannavaram
  • Faculty of Veterinary Science, Assam Agricultural University, Guwahati
  • Faculty of Veterinary Science, Dr. Rajendra Prasad Agri. University, Pusa, Samastipur         
  • Faculty of Veterinary Sciences, Birsa Agricultural University, Ranchi

 

क्याः वेटरनिटी साइंस एक मेडिकल प्रोफेशन है जिसका संबंध पशुओं को होने वाली बीमारियों के नियंत्रण से है। एक वेटरिनेरियन या जानवरों के डॉक्टर की प्राथमिक जिम्मेदारी पशुओं के स्वास्थ्य की देखभाल करना होता है। इसमें प्रजनन और लाइवस्टॉक की साइंटिफिक हैंडलिंग भी शामिल है।

वेटरिनेरियन सरकार के पशुपालन विभागों में काम कर सकते हैं या फिर शहरी क्षेत्र में काम करने के विकल्प को चुन सकते हैं जहां पर उन्हे ज्यादातर घरेलू पालतू जानवरों के स्वास्थ्य की देखभाल करनी होती है। वेटरिनेरियन्स का जॉब प्रोफाइल एक सामान्य चिकित्सक या सर्जन की अपेक्षा काफी ज्यादा होता है। वे बीमारियों की पहचान करते हैं, पशुओं की बीमारियों के रोकथाम व नियंत्रण हेतु काम करते हैं, बीमार व घायल पशुओं का इलाज करते हैंय लोगों में पशुओं के बीमारियों के ट्रांसमिशन को रोकते हैं और पशुओं व लाइवस्टॉक के उचित देखभाल की सलाह देते हैं।

इस क्षेत्र में शुरुआती वेतन आमतौर पर प्रतिमाह 10,000 रुपये से 15,000 के बीच होता है। सरकारी विभागों में पशुधन विकास अधिकारियों के पद पर प्रोफेशनल्स की नियुक्ति भी की जाती है। इन अधिकारियों का मासिक वेतन उनके अनुभव व क्षेत्र के हिसाब से प्रतिमाह 20,000 रुपये से 30,000 रुपये के बीच होता है। कॉलेजों में बतौर सहायक प्रोफेसर वेटरिनेरियन को प्रतिमाह 40,000 रुपये से ज्यादा का वेतन प्रदान किया जाता है।

सामान्य तौर पर एक वेटरिनेरियन प्रतिमाह 5,000 रुपये से 80,000 रुपये तक कमा सकता है।

कैसेः पशु चिकित्सक पालतू जानवरों का इलाज करने के साथ-साथ चिडियाघर, लैबोरेट्री में जानवरों की देखभाल करते हैं इसके अलाव वे स्पोर्टिंग पशुओं व सरकारी पशुपालन विभाग के जानवरों का भी ख्याल रखते हैं। आमतौर पर वे घोड़े, सूअर, भेड़ व पोल्ट्री जैसे बड़े जानवरों की देखभाल करते हैं या फिर कुत्ते बिल्ली व चिड़िया जैसे घरेलू पालतू जानवरों का ख्याल रखते हैं या फिर इन दोनों कामों को एक साथ भी करते हैं। जानवरों के प्रकार के अनुसार उपचार के तरीकों में भी बदलाव होता है। पशु चिकित्सक को पालतू जानवरों या पशुओं के कई नस्लों और उनकी विशेषताओं के बारे में पता होना चाहिए जिससे की वे उनके नस्ल के अनुसार उनको आहार, व्यायाम और उपचार की सलाह दे सकें।

वेटरिनेरियन के तौर पर प्रेक्टिस करने के लिए वेटरनिटी साइंस में बैचलर्स की डिग्री होना आवश्यक है। बैचलर्स ऑफ वेटरनिटी साइंस और एनिमल हसबैंड्री का कोर्स करने के लिए आपका फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी जैसे विषयों के साथ 10$2 पास होना आवश्यक है। यह एक संबद्ध चिकित्सा विज्ञान है। इस क्षेत्र में मेडीसीन के बाद इसे और डेंटिस्ट्री को सबसे अच्छा माना जाता है उसके बाद फॉर्मेसी व बायोटेक्नोलॉजी का नंबर आता है।

पशुधन आबादी में हो रही निरंतर बढ़ोत्तरी और अच्छी गुणवत्ता वाले पशुओं की मांग के साथ ही वेटरनिटी डॉक्टर्स की मांग में भी काफी इजाफा हुआ है। वेटरनिटी इंडस्ट्री के कमर्शियलाइजेशन और पॉलिसी में हुए लिबरलाइजेशन की वजह से फूड मैनुफैक्चरिंग, फार्मास्यूटिकल्स, डायग्नोस्टिक्स व वैक्सीन प्रोडक्शन करने वाली कई इंटरनेशनल इंडस्ट्रीज ने वेटरिनेरियन के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं।

कहांः विशाल पशुधन आबादी की जरुरतों को पूरा करने के लिए न्यूट्रिशन, फार्मास्यूटिकल्स मिल्क/मीट प्रोसेसिंग सेंटर्स, डायग्नोस्टिक्स व वैक्सीन प्रोडक्शन जैसे क्षेत्रों में जल्द ही कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय कंपनियां आने वाली हैं। इस सेक्टर में भी टेक्नोक्रेट्स की मांग में तेजी से इजाफा हुआ है। पशु प्रेमियों द्वारा चलाए जा रहे कई एनजीओ, वेलफोयर बोर्ड्स और प्राइवेट एजेंसियों द्वारा भी पशुओं की मदद की जाती है और इसके लिए वे वेटरिनेरियंस की नियुक्ति करते हैं। इसी तरह चिड़ियाघर, राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों में पशुओं की देखभाल करने के लिए भी पशु चिकित्सकों की नियुक्ति की जाती है।

संस्थानः
ऽ एन.टी. रामा राव कॉलेज ऑफ वेटरनिटी साइंस- गन्नावरम
ऽ फैक्लटी ऑफ वेटरनिटी साइंस, असम एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, गुवाहाटी
ऽ फैक्लटी ऑफ वेटरनिटी साइंस, डॉ राजेन्द्र प्रसाद एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, पूसा, समस्तीपुर
ऽ फैक्लटी ऑफ वेटरनिटी साइंस, बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, रांची

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