What: Managing waste has assumed primary importance around the globe. Given that any kind of waste be it electronic or solid waste can be recycled, more and more people are looking at this as a career opportunity. Not only does it promise a profitable business, it also satiates one’s passion to save the environment.
A lot of electronic waste – a cell phone for example – is being generated now and many tech-savvy professionals have made it their mission to harvest it. Organic waste is a much bigger business proposition – it constitutes 35% of all garbage generated in India.
Water management, construction waste and debris (30 to 40%) and hazardous waste, including bio-medical waste, too, call for professional management. A lot of waste management work is being done by private and non-governmental organisations. The government is also taking a step towards professional garbage management.
What does waste actually comprises of:
How: You need to have science in Class 12. After this, go for a bachelor’s in environmental, civil, chemical or mechanical engineering, microbiology, or even biotechnology. Admission to these is through competitive exams. You may pursue a master’s in environmental engineering as well. Else, you could also do a BSc programme and follow it up with a master’s (MA/MSc) in environmental studies. You can choose to work with an NGO working in this space and then with considerable experience start your own enterprise.
Students from other disciplines, such as chemical, civil, microbiology and biotechnology, are involved in different aspects of waste management. Some create new products out of waste, while others collect precious metals from the same.
Where: It is advisable to take up a programme in some area of environmental sciences or management, or even a course in sustainable development that covers issues concerning environmental conservation and management. There are several institutes that cover such programmes including the MBA in environmental management
Institutions:
क्याः कचरे के प्रबंधन को दुनियां भर में प्राथमिक महत्व दिया जा रहा है। चाहे वह किसी भी तरह का वेस्ट हो इलेक्ट्रॉनिक या ठोस वेस्ट उसे रिसाइकिल किया जा सकता है, ज्यादा से ज्यादा लोगो इसे करियर के अवसर के तौर पर देख रहे हैं। यह ना केवल लाभकारी बिजनेस है बल्कि यह पर्यावरण को बचाने के प्रति आपके जज्बे को भी दर्शाता है।
अब बडे पैमाने पर सेल फोन की तरह इलेक्ट्रॉनिक कचरा उत्पन्न हो रहा है और कई टैक सेवी प्रोफेशनल्स ने इससे निबटने का बीड़ा उठाया है। भारत में उत्पन्न पूरे कचरे का 35 फीसदी ऑर्गेनिक वेस्ट होता है जो व्यवसायिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है।
वॉटर मैनेजमेंट, कंस्ट्रक्शन वेस्ट, मलबे (30 से 40 प्रतिशत) और बॉयो मेडिकल से जुड़े खतरनाक वेस्ट के लिए प्रोफेशनल मैनेजमेंट की जरुरत होती है। वेस्ट मैनेजमेंट से जुड़े ज्यादातर कार्यों को निजी और गैर सरकारी संगठनों द्वारा किया जा रहा है। सरकार भी प्रोफेशनल गार्बेज मैनेजमेंट की दिशा में कदम बढ़ा रही है।
वेस्ट में क्या शामिल हो सकता हैंः
कैसेः कक्षा 12 में आपका विषय विज्ञान का होना चाहिए। इसके बाद इनवॉयरमेंटल, सिविल, कैमिकल व मैकेनिकल या फिर माइक्रोबायोलॉजी या बॉयोटेक्नालॉजी में इंजीनियरिंग करना चाहिए। इन कोर्सेज में एडमिशन प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से होता है। आप इनवॉयरमेंटल इंजीनियरिंग में मास्टर्स भी कर सकते हैं। या फिर आप इनवॉयरमेंटल स्टडीज में बीएससी करने के बाद उसमें मास्टर्स (एमए ध् एमएससी) कर सकते हैं। आप इस क्षेत्र में किसी एनजीओ के साथ काम कर सकते है और पर्याप्त अनुभव हो जाने के बाद अपना खुद का उद्यम शुरू कर सकते हैं।
कैमिकल, सिविल, माइक्रोबायोलॉजी व बॉयोटेक्नालॉजी जैसे विषयों के छात्र वेस्ट मैनेजमेंट के विभिन्न पहलुओं से जुड़े होते हैं। कुछ छात्र वेस्ट से नए प्रोडक्ट को बनाते हैं तो कुछ उसमें से कीमती धातुओं को एकत्र करते हैं।
कहांः इनवॉयरमेंटल साइंसेज या मैनेजमेंट या फिर इनवॉयरमेंटल कंसर्वेशन या मैनेजमेंट से जुड़े विषयों को कवर करने वाले किसी क्षेत्र से जुड़े कोर्सेज को किया जा सकता है। कई संस्थानों द्वारा इनवॉयरमेंटल मैनेजमेंट में एमबीए सहित इस तरह के कई प्रोगाम्स को कवर किया जाता है।
संस्थानः
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